भारत भी कई हजार साल पहले एल्युमीनियम (बॉक्साइट) बना सकता था क्योंकि एलुमिनियम का रो मटेरियल इस देश में भरपूर मात्रा में है लेकिन कई हजार साल से भारत में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता रहा है क्योंकि मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है।
- हम लोग खाना इसलिए खाते है ताकि हमारे शरीर को जरुरी प्रमाण में पोषक तत्त्व मिले जो भोजन हम खाते हैं उसमे अपने आप में तो मिनरल्स विटामिन्स प्रोटीन तो होते ही हैं, इनके ये गुण बढ़ाने या घटाने में इनको पकाने वाले बर्तन भी विशेष स्थान रखते हैं आइये जानते हैं मिटटी और दूसरे बर्तन में बनाया हुआ भोजन किस प्रकार प्रभावी और दुष्प्रभावी होता हैं।
- भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरेधीरे ही पकना चाहिए साथ ही भोजन में मौजूद सभी प्रोटीन शरीर को खतरनाक बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है।
- मिट्टी के बर्तन बाकी धातुओं के बर्तनों के मुकाबले काफी सस्ते होते हैं मिट्टी से बने ये बर्तन अलग अलग आकारों और साइज़ में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं और ये काफी सस्ते भी होते हैं मिटटी से बने इन बर्तनों को आप घर बैठे ऑनलाइन शॉपिंग करके भी खरीद सकते हैं।
- कितने प्रकार के होते हैं मिट्टी के ये बर्तन कई तरह के मिलते हैं जिनमें सिरेमिक, क्ले, क्रीमवियर पॉट्स और पैन्स या टेराकोटा के बने हुए बर्तन मिल जाएंगे इनकी कई तरह की रेंज आपको मिल सकती है. आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से इनका चुनाव कर सकते हैं और इनसे मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ हासिल कर सकते हैं।
ऊष्मा प्रतिरोधी आम धारणा के विपरीत मिट्टी के इन बर्तनों में ऊष्मा को अवशोषित करने की क्षमता तांबे और लोहे के बर्तनों के मुकाबले ज्यादा नहीं होती, इसलिए ज्यादा गरम होने पर इनके टूटने का खतरा रहता है. लेकिन धीमी आंच पर आसानी से इनमें खाना बनाया जा सकता है. आप इनमें रोज़ाना दाल, चावल और सब्ज़ी पका सकते हैं. भोजन को पकाते समय सूर्य का प्रकाश और हवा का स्पर्श होना आवश्यक है भोजन को अधिक तापमान में पकाने से उसके सूक्ष्म पोषकतत्त्व नष्ट हो जाते हैं भोजन को प्रेशर कूकर में पकाने से भोजन पकता नहीं है, बल्कि भाप और दबाव के कारण टूट जाता है, जिसे हम पका हुआ भोजन कहते है. इनकी सबसे अच्छी बात ये है कि इनको आप माइक्रोवेव में ही इस्तेमाल कर सकते हैं।
बर्तनो में पाये जाने वाले पोषक तत्व मिटटी के बरतन में खाना बनाये तो 100 प्रतिशद पोषक तत्त्व बचते है अगर पीतल के बरतन में बनाये तो 7 प्रतिशद पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते है, 93 प्रतिशद बचते है “अगर कासे के बरतन में बनाये तो 3 प्रतिशद पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते है, 97 प्रतिशद बचते है।
एलुमिनियम और स्टील हालांकि आज से 200 साल पहले से ही मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग होना बंद हो गया अगर आप लोग एलुमिनियम के प्रेसर कूकर में खाना बनाते हो तो 87 प्रतिशद पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते है, सिर्फ 13 प्रतिशद ही बचते है ये पोषक तत्व तो कम करता ही हैं साथ में एल्युमीनियम खाने के माध्यम से हमारे शरीर में धीरे धीरे पहुँचता रहता हैं और फिर ये शरीर से निकल भी नहीं पाता इसलिए स्टील और एल्युमीनियम दोनों ज़हर हैं।
अगर आप भी जीना चाहते हैं स्वस्थ जीवन तो ज्यादा से ज्यादा मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करें बहुत ही कम लोग इस बात को मानेगें लेकिन ये बात तो सच है कि यदि शरीर को रोगमुक्त और लंबी उम्र तक जीना है, तो मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने की आदत डालें।












