Friday, 22 December 2017

क्या आप जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार भोजन के अंत में पानी विष के सामान होता है

नमस्कार दोस्तो आपका स्वागत हैं, हमे भोजन हमेशा आराम से जमीनपर बैठकर करना चाहिए ताकि सीधे अमाशय में जा सके । यदि पानी पीना हो तो भोजन से आधा घंटा पहले पी ले । भोजन के समय पानी न पियें । यदि प्यास लगती हो या भोजन अटकता हो तो मठ्ठा या छाछ ले सकते हैं या उस मौसम के किसी भी फल का रस पी सकते है डिब्बा बंद फलों का रस गलती से भी न पियें। पानी नहीं पीना है क्योंकि जब हम भोजन करते है तो उस भोजन को पचाने के लिए हमारे जठर में अग्नि प्रदीप्त होतीहै । उसी अग्नि से वह खाना पचता है । यदि हम पानी पीते है तो खाना पचाने के लिए पैदा हुई अग्नि मंद पड़ती है और खाना अच्छी तरह से नहीं पचता और वह विष बनता है जो कई तरह की बीमारियां पैदा करता है । भोजन करने के एक घन्टा बाद ही पानी पिए वो भी घूंट घूंट करके।

  • खाना खाने से पहले पानी पीना चाहिए और यह खाना खाने से 40 मिनट पहले पीना चाहिए।
  • खाने के बाद मुंह और गले को साफ़ करने के लिए 1 या 2 घूँट गर्म या गुनगुना पानी लिया जा सकता है।
  • यदि वाकई में आपको प्यास लग रही है तो सुबह के नाश्ते के बाद मौसमी फलों का जूस पिया जा सकता है और लंच के बाद दही या छाछ ली जा सकती है। रात के खाने के बाद दूध लिया जा सकता है। हालाँकि इनमे भी पानी होता है लेकिन ये भोजन को पचाने में मददगार हैं और शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुँचाते।
  • गर्म चाय की तरह पानी को एक एक घूँट लेकर पियें। वॉटर थेरेपी ट्रीटमेंट और उसके लाभ।
  • सुबह सबसे पहले पानी पियें। यह शरीर के तापमान को गर्म करेगा और यह एक एक घूँट लेकर पीना। चाहिए जिससे पेट में ज्यादा से ज्यादा लार जाएगी। आप सिर्फ यदि पानी पी रहें हैं तो इसे ताम्बे के बर्तन में रखें इससे इसे गर्म नहीं करना पड़ेगा, इसमें गर्म पानी के सभी गुण आ जायेंगे। घड़े के पानी को भी गर्म करना चाहिए। 18 वर्ष से ज्यादा और 60 वर्ष से काम आयु के लोगों को 1.5 से 2 गिलास पानी पीना चाहिए और अन्य को 1.25 लीटर यानि 3 गिलास पानी पीना चाहिए। यह पानी की वह मात्रा है जो आप बिना प्यास के भी पी सकते हैं। इस क्रिया को 6 माह तक करें और अपने स्वास्थ्य में फर्क देखें। आप हल्का और फ्रेश महसूस करेंगे और यह नींद, पाचन, दर्द और दिल सबके लिए बेहतर है।

  • यदि आप ताम्रपात्र में पानी का सेवन कर रहें हैं तो 3 माह के बाद कुछ सप्ताह के लिए इसका सेवन बंद कर दें फिर पुनः शुरू करें।
  • ठंडा पानी कभी नहीं पियें। यह गर्म/ गुनगुना या शरीर के तापमान के अनुसार होना चाहिए। ठंडा पानी पीने से शरीर के कुछ अंगों में रक्त नहीं पहुँचता है। कुछ समय के बाद यह कमजोरी और कई प्रकार की बिमारियों का कारण बनता है जैसे की हार्ट अटैक, किडनी फेलियर, ब्रेन हेमरेज आदि। अधिकतर बार ठंडा पानी पीना कब्ज का मुख्य कारण होता है। इससे बड़ी आंत सिकुड़ती है जो कि अनेक जटिलताएं पैदा करती है। यह बात अन्य ठंडे खाद्य पदार्थों पर भी लागू होती है।
  • मोटापा कम करने के लिए यह पद्धति सर्बोत्तम है । पित्त की बीमारियों को कम करने के लिए, अपच, खट्टी डकारें, पेट दर्द, कब्ज, गैस आदि बीमारियों को इस पद्धति से अच्छी तरह से ठीक किया जा सकता है ।
यहां दी गई सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है।

Thursday, 21 December 2017

क्या आप जानते हैं दूध भी हो सकता है जहरीला

दोस्तो हम आपको आज दूध भी हो सकता है जहरीला रहे हैं। दोस्तो भारत में मिलावट का दौर बदस्तूर जारी है। आज बात करते हैं दूध के बारे में दूध में मिलावट कई तरह से की जाती हैं जिनमें पानी, यूरिया, शैम्पू , डिटर्जेंट , नमक , आरारोट , हाइड्रोजन पेरासाईट , पामोलीन आदि।
वैसे सच कहा जाए तो दूध में मिलावट के इतने तरीके विकसित कर लिए गए हैं की दूध में पानी मिलाने को तो नैतिक रूप से मिलावट की श्रेणी से बाहर रखा जा सकता हैं क्योंकि कम से कम जहर तो नहीं मिलाया जा रहा है जबकि अन्य पदार्थ तो जहर हैं लेकिन फिर भी उनको दूध में मिलाया जा रहा है। नमक और सोडे से दूध का मीटर तुरंत ऊपर चला जाता है, आरारोट से दूध मोटा हो जाता है , शैम्पू से झाग भी बन जाते है आदि आदि। अब बात करते हैं की इस मिलावट को रोकने के क्या प्रयास जारी है आइये देखते है।
  • न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की खंडपीठ ने कहा कि इस मिलावट के लिए छः महीने की सजा अपर्याप्त है, इसे कम से कम उम्र कैद होना चाहिए।
  • मध्य प्रदेश विधानसभा ने दंड विधेयक 2014 में संशोधन पारित किया है जिसके अनुसार मिलावटी दूध बेचने वाले को आजीवन कारावास होगा तथा यह अपराध गैर जमानती होगा। इसकी सुनवाई भी सेशन कोर्ट में होगी।
  • केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के स्वामी अच्युतानंद तीर्थ के नेतृत्व में प्रबुद्ध नागरिकों की जनहित याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे में न्यायालय को यह जानकारी दी कि देश में 68 फीसदी से अधिक दूध खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के मानकों के अनुरूप नहीं हैं।
  • न्यायालय ने इस याचिका पर हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किए थे। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सिंथेटिक और मिलावटी दूध तथा दूध के उत्पाद यूरिया, डिटरजेंट, रिफाइंड ऑयल, कॉस्टिक सोडा और सफेद पेंट आदि से तैयार हो रहे हैं और यह मानव जीवन के लिए बहुत घातक है, क्योंकि इससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
  • खाद्य वस्तुओं में मिलावट की जांच के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने एक सस्ती तकनीक विकसित कर ली है ,तकनीक को राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है एनडीआरआई के निदेशक डॉ अनिल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि दूध व दुग्ध उत्पादों में मिलावट की जानकारी के लिए विकसित की गई पहली तकनीक से यूरिया, स्टार्च, गंदे पानी, शुगर, पामोलीन, हाइड्रोजन पैरासाइट सहित ११ तरह की मिलावट की जांच हो सकती है। इस तकनीक को किट के रूप में बनाया गया है।
यहां दी गई सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है।

Monday, 18 December 2017

आप जानते हैं राजमा के बहुमूल्य गुणों को


दोस्तो राजमा हमारे परिवारों में काफी चाव से खाया जाता हैं जिसमें राजमा चावल के तो हम दीवाने है। राजमा टेस्ट के साथ साथ ये स्वास्थ के लिए भी अच्छा है। इसे खाने से शरीर पुष्ट रहता है। कहते है सोया उत्पादों में प्रोटीन अधिक होता है, लेकिन मैं आपको बता दूँ राजमा प्रोटीन की खान है, इसमें सोया उत्पाद से भी 21 प्रतिशत प्रोटीन है। दोस्तो राजमा एक ऐसी दलहनी फसल हैं जिसमे बहुमूल्य गुण हैं जो एक तीर कई निशाने लगाता है।
राजमा के गुण
    एनर्जी दे राजमा खाने से हमें ताकत मिलती है, क्यूंकि इसमें आयरन की अधिकता होती है. शरीर में मेटापोलिस्म बढ़ाने व एनर्जी के लिए आयरन सबसे जरुरी है. इसके खाने से शरीर में ओक्सीजन का प्रवाह सुचारू रूप से होता है.
    वजन कंट्रोल रखे राजमा में कैलोरी पाई जाती है लेकिन औसत रहती है जिसे कोई भी उम्र का इन्सान आसानी से खा सकता है. राजमा को सूप व सलाद में लंच में खाना चाहिए ज्यादा फायदा मिलेगा. जो अपने वजन को मेन्टेन रखना चाहते है उन्हें राजमा जरुर खाना चाहिए क्यूंकि इसमें सभी तरह के पोषक तत्व होते है.
    डायबटीज कंट्रोल राजमा में मौजूद फाइबर शरीर में मेटापोलिस्म मेन्टेन करता है. ये कार्बोहाइड्रेट को कम करते है जिससे ब्लडशुगर कम होता है.
    कोलेस्ट्रोल कम करे राजमा शरीर में कोलेस्ट्रोल कम करने में सहायक है. राजमा में मौजूद फाइबर पेट में जाकर gel जैसा हो जाता है जो कोलेस्ट्रोल कम करता है.
    ब्लडप्रेशर कंट्रोल राजमा में मौजूद मैग्नीशियम व पोटेशियम के आलावा प्रोटीन व फाइबर ब्लडप्रेशर को कंट्रोल करते है, साथ ही हार्ट बीट को भी सामान्य रखता है. इससे पुरे दिल ही सुरक्षा होती है.
    प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करे राजमा फाइबर व प्रोटीन की खान तो है ही लेकिन इसमें एंटीऑक्सीडेंट भी पाया जाता है. ये एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है, जिससे शरीर में संक्रमण का असर जल्दी नहीं पड़ता.
    कैंसर जैसी बीमारी से बचाए राजमा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट यहाँ भी काम करता है और कैंसर से बचाता है ये फ्री रेडिकल्स को सुरक्षित रखता है, साथ ही विटामिन कोशिकाओं को सुरक्षित रखता है जो कैंसर का मुख्य कारण है.
    शरीर को अंदर से साफ करे राजमा खाने से शरीर के अंदर के सारे विषेले तत्व बाहर निकल जाते है, जप पेट पूरी तरह से साफ हो जाता है. ये सिरदर्द जैसी छोटी समस्या को हल कर देता है. साथ ही ये पाचन में भी मदद करता है, राजमा पेट में घुलनशील फाइबर बनाता है सो पाचन में सहायक है.
    दिमाग तेज करे राजमा खाने से दिमाग मजबूत होता है याददाश भी बढती है. इसमें मौजूद विटामिन k दिमाग के लिए बहुत फायदेमंद है. इसके अलावा इसमें मौजूद मैग्नीशियम माइग्रेन की समस्या को भी हल करता है. हफ्ते में एक बार खाने से ये परेशानी दूर होती है.
    हड्डी मजबूत करे राजमा में कैल्शियम, बायोटिन व मैगनीस होता है जो हड्डी, नाख़ून व बालों के लिए बहुत अच्छा होता है. इससे हड्डी मजबूत होती, नाख़ून चमकदार होते है व जल्दी टूटते नहीं है ना ही इनमें फंगस लगती है. इसी तरह ये बाल भी मज्ब्बोत करता है उनका गिरना कम होता है व वे लम्बे काले घने बनते है.
    प्रोटीन की अधिकता राजमा में अधिक मात्रा में प्रोटीन होता है. जो लोग नॉनवेज नहीं खाते है, उनके लिए राजमा प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत्र होता है. राजमा को चावल के साथ खाने से यह एक अच्छी मील बन जाती है और ये शरीर को सारे पोषक तत्व देती है.
    फाइबर अधिक होता है राजमा में फाइबर बहुत अधिक होता है, इसे खाने पर आपको देर तक भूख नहीं लगती और शरीर को आसानी से पचने वाले फाइबर मिलते है.

Sunday, 10 December 2017

कम समय में इस तरह पाएं बवासीर से छुटकारा


नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हैं हमारे यू सी चैनल पर आज हम आपको बवासीर से छुटकारा पाने के लिए एक रामबाण प्रयोग बताने जा रहे हैं।
दोस्तो कहते हैं कि नारियल खाने से आपको जितने पोषक तत्व मिलते हैं, उतने किसी में नहीं मिलते। नारियल एक ऐसा पदार्थ है, जो कई बीमारियों का इलाज भी है। बवासीर एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति सबसे ज्यादा परेशान होता है। अगर आप बवासीर से परेशान हैं चाहे वह खुनी हो चाहे बादी, ये एक प्रयोग आपके लिए रामबाण की तरह साबित हो सकता है। इस प्रयोग से पुरानी से पुरानी बवासीर एक से दो दिन में सही हो जाएगी। इस इलाज से एक दिन में ही रक्तस्राव बंद हो जाता है। बड़ा सस्ता व सरल उपाय है। एक बार इसको ज़रूर अपनाकर देखिए, आइए जानते हैं किस तरह आप इसे अपना सकते है।

इस तरह करें प्रयोग
नारियल की जटा लीजिए। उसे माचिस से जला दीजिए। जले हुए नारियल की जटा को शीशी में भर कर रख लीजिए। अब डेढ़ कप छाछ या दही के साथ नारियल की जटा से बनी भस्म तीन ग्राम खाली पेट दिन में तीन बार सिर्फ एक ही दिन लेनी है। ध्यान रहे दही या छाछ ताजी हो खट्टी न हो। कैसी और कितनी ही पुरानी पाइल्स की बीमारी क्यों न हो, एक दिन में ही ठीक हो जाती है।
कुछ बातों का ध्यान रखें
दिन में दवा लेने के एक घंटा पहले और एक घंटा बाद तक कुछ न खाएं तो चलेगा। अगर रोग ज्यादा जीर्ण हो और एक दिन दवा लेने से लाभ न हो तो दो या तीन दिन लेकर देखिए। बवासीर से बचने के लिए मल मार्ग को गर्म पानी से न धोएं। खासकर जब तेज गर्मियों के मौसम में छत की टंकियों व नलों से बहुत गर्म पानी आता है तब मल मार्ग को उस गर्म पानी से धोने से बचना चाहिए।
एक बार बवासीर ठीक हो जाने के बाद बदपरहेजी के कारण उसके दुबारा होने की संभावना रहती है। अत: बवासीर के रोगी के लिए बदपरहेजी से परम आवश्यक है। इस प्रयोग को अपनाने से पहले एक बार विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें। यहां दी गई सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है।

Wednesday, 29 November 2017

मिटटी के बर्तन में खाना पकाने के फायदे जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान


भारत भी कई हजार साल पहले एल्युमीनियम (बॉक्साइट) बना सकता था क्योंकि एलुमिनियम का रो मटेरियल इस देश में भरपूर मात्रा में है लेकिन कई हजार साल से भारत में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता रहा है क्योंकि मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है।
  • हम लोग खाना इसलिए खाते है ताकि हमारे शरीर को जरुरी प्रमाण में पोषक तत्त्व मिले जो भोजन हम खाते हैं उसमे अपने आप में तो मिनरल्स विटामिन्स प्रोटीन तो होते ही हैं, इनके ये गुण बढ़ाने या घटाने में इनको पकाने वाले बर्तन भी विशेष स्थान रखते हैं आइये जानते हैं मिटटी और दूसरे बर्तन में बनाया हुआ भोजन किस प्रकार प्रभावी और दुष्प्रभावी होता हैं।
  • भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरेधीरे ही पकना चाहिए साथ ही भोजन में मौजूद सभी प्रोटीन शरीर को खतरनाक बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है।
  • मिट्टी के बर्तन बाकी धातुओं के बर्तनों के मुकाबले काफी सस्ते होते हैं मिट्टी से बने ये बर्तन अलग अलग आकारों और साइज़ में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं और ये काफी सस्ते भी होते हैं मिटटी से बने इन बर्तनों को आप घर बैठे ऑनलाइन शॉपिंग करके भी खरीद सकते हैं।
  • कितने प्रकार के होते हैं मिट्टी के ये बर्तन कई तरह के मिलते हैं जिनमें सिरेमिक, क्ले, क्रीमवियर पॉट्स और पैन्स या टेराकोटा के बने हुए बर्तन मिल जाएंगे इनकी कई तरह की रेंज आपको मिल सकती है. आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से इनका चुनाव कर सकते हैं और इनसे मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ हासिल कर सकते हैं।
ऊष्मा प्रतिरोधी आम धारणा के विपरीत मिट्टी के इन बर्तनों में ऊष्मा को अवशोषित करने की क्षमता तांबे और लोहे के बर्तनों के मुकाबले ज्यादा नहीं होती, इसलिए ज्यादा गरम होने पर इनके टूटने का खतरा रहता है. लेकिन धीमी आंच पर आसानी से इनमें खाना बनाया जा सकता है. आप इनमें रोज़ाना दाल, चावल और सब्ज़ी पका सकते हैं. भोजन को पकाते समय सूर्य का प्रकाश और हवा का स्पर्श होना आवश्यक है भोजन को अधिक तापमान में पकाने से उसके सूक्ष्म पोषकतत्त्व नष्ट हो जाते हैं भोजन को प्रेशर कूकर में पकाने से भोजन पकता नहीं है, बल्कि भाप और दबाव के कारण टूट जाता है, जिसे हम पका हुआ भोजन कहते है. इनकी सबसे अच्छी बात ये है कि इनको आप माइक्रोवेव में ही इस्तेमाल कर सकते हैं।
बर्तनो में पाये जाने वाले पोषक तत्व मिटटी के बरतन में खाना बनाये तो 100 प्रतिशद पोषक तत्त्व बचते है अगर पीतल के बरतन में बनाये तो 7 प्रतिशद  पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते है, 93 प्रतिशद  बचते है “अगर कासे के बरतन में बनाये तो 3 प्रतिशद  पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते है, 97 प्रतिशद  बचते है।
एलुमिनियम और स्टील हालांकि आज से 200 साल पहले से ही मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग होना बंद हो गया अगर आप लोग एलुमिनियम के प्रेसर कूकर में खाना बनाते हो तो 87 प्रतिशद  पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते है, सिर्फ 13 प्रतिशद  ही बचते है ये पोषक तत्व तो कम करता ही हैं साथ में एल्युमीनियम खाने के माध्यम से हमारे शरीर में धीरे धीरे पहुँचता रहता हैं और फिर ये शरीर से निकल भी नहीं पाता इसलिए स्टील और एल्युमीनियम दोनों ज़हर हैं।
अगर आप भी जीना चाहते हैं स्वस्थ जीवन तो ज्यादा से ज्यादा मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करें बहुत ही कम लोग इस बात को मानेगें लेकिन ये बात तो सच है कि यदि शरीर को रोगमुक्त और लंबी उम्र तक जीना है, तो मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने की आदत डालें।

Thursday, 23 November 2017

गेहूं के जवारे पृथ्वी का संजवीनी रस

प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली के अनुसार गेहूं के जवारे तथा श्यामा (काली) तुलसी के रस का एक माह तक सेवन से रक्त दोष, गठिया, नाडी रोग अथवा कैंसर उपचार मे उपयोगी पाया गया है। प्राकृतिक चिकित्सा मे इस रस को हरा कहा जाता है तथा हरा कैंसर उपचार में विशिष्ट उपयोगी पाया गया है।
गेहूं के जवारे की उपलब्धि हेतु सात गमलों में गेहूं बो दे जब जवारे की लम्बाई छ: इन्ची तो पहले गमलों के जवारे निकाल ले तथा दूसरे पुनः बो दे अगले दिन गमले के जवारे अगले दिन गमले क जवारे काम में लायें।
गेहूं के जवारे तथा श्यामा काली तुलसी के पाच पत्तो के साथ पीसकर रस निकाल ले। एक खुराक 100 मिली लिटर रस की है। यह खुराक प्रात: खाली पेट सूर्य रश्मियों का सेवन करते हुए उपयोग करे।
 गेहूं के जवारे विटामिन्स और मिनरल्स का सबसे बढ़िया सोर्स हैं। इसमें विटामिन A, B, C, E और K के अलावा अमीनो एसिड्स भी पाए जाते हैं। इसका रस पीने और इसे बॉडी पर अप्लाई करने से इसके कई हेल्थ बेनिफिट्स मिलते हैं।

Monday, 20 November 2017

दाद खाज खुजली को जड़ से मिटाने के 10 उपाय और आयुर्वेदिक घरेलू दवा

दोस्तो दाद एक फंगल इन्फेक्शन है जो सर, पैर, गर्दन या किसी अंदरुनी भाग मे कहीं भी हो सकता है । ये लाल या हलके ब्राउन रंग का गोल आकार का होता है। ये इंसान , जानवर किसी से भी फेल सकता है। लेकिन डरें नहीं ये आसानी से ठीक भी हो जाता है। ये किसी कीड़े से नहीं होता ये तो एक फंगल इन्फेक्शन है। अगर आपको ये इन्फेक्शन है तो आप अपने शरीर के किसी भी हिस्से पर लाल गोल निशान देख सकते हैं। ये बहुत तेज़ी से फेलता है जिस जगह पर हुआ है उसके आस पास की जगह पर भी फैलने लगता है। इसका इन्फेक्शन ज्यादा बढ़ने पर आप शरीर पर उभार और फुंसियाँ भी देख सकते ह हैं और उनमें पस भरने लगती है। खुजली खारिश के उपचार के लिए जरुरी है की साफ़ सफाई का ध्यान रखे। शरीर को साफ़ रखे और साफ़ सुथरे कपड़े पहने। अगर सही तरीके से और सही समय पर इचिंग का इलाज किया जाये तो इस समस्या को बढ़ने से रोक सकते है। घर पर कुछ देसी नुस्खे और घरेलू उपचार करके भी दाद खाज खुजली ठीक करने के उपाय कर सकते है। आइये जाने
खुजली के कारण स्किन की एलर्जी के कारण जादातर खुजली की समस्या होती है, इसके इलावा कुछ कारण और भी है जिनकी वजह से शरीर पर इचिंग की समस्या होने लगती है। जैसे त्वचा रूखी रहने से, धूल मिट्टी की कारण, मौसम में आये बदलाव से, स्किन पर इंफेक्शन होना, लंबे समय तक गीले रहने से, किसी क्रीम या मेडिसिन के साइड इफ़ेक्ट से, बालों में जुएं और रूसी होने के कारण सिर में खुजली होने लगती है।,
खारिश खुजली के लक्षण त्वचा का रंग लाल पड़ना, त्वचा पर छोटे दाने निकलना, जलन महसूस होना और जादा खारिश होना आदि

दाद खाज खुजली का उपाय
  1. खीरे के रस से हल्की मालिश करने से खुजली दूर हो जाती है।
  2. अगर खुजली जादा होती है तो 1 हफ्ता टमाटर का रस सुबह सुबह पिए।
  3. खारिश करने से अगर दानों में से पानी निकलता है तो आप इसे गीला होने से बचाए।
  4. नीम की पत्तियों को पानी में उबाले और इस पानी से नहाए। इस घरेलू नुस्खे से कीटाणु खत्म होते है।
  5. कपूर को नारियल तेल में डाल कर अच्छे से मिला ले और इचिंग वाली जगह पर मसाज करे।
  6. एलोवेरा के पत्ते को काट कर इसका गर निकाल कर लगाने से स्किन इचिंग से राहत मिलती है।
  7. खारिश बार बार हो तो देसी घी को गुनगुना करे और उससे हल्के हाथों से प्रभावित जगह पर मसाज करे।
  8. थोड़ी से मुलतानी मिट्टी दो से तीन चम्मच गुलाब जल में मिलाकर इसका लेप लगाने से खुजली दूर होती है।
  9. एक चम्मच डेटॉल एक चम्मच पानी में मिक्स कर ले और रूई से खुजली वाले स्थान पर लगाए। इस उपाय से भी खुजली खत्म होती है।
  10. आप अगर दाद खाज खुजली की समस्या से परेशान है तो नहाते समय साबुन और शैम्पू का इस्तेमाल ना करे और स्नान के बाद नारियल का तेल लगाए।
दाद खाज खुजली ठीक करने के आयुर्वेदिक नुस्खे
  • जड़ से दाद खाज खुजली का ईलाज करने के लिए नीम के पत्ते दही में पीस कर लगाए।
  • गेंदे के फूल में एंटी बैक्टीरियल और एंटी वायरल गुण होते है, पानी में गेंदे के पत्ते उबाल कर दिन में 2 से 3 बार प्रयोग करे।
  • हल्दी का लेप दाद खाज पर लगाने से भी इससे छुटकारा पाने में मदद मिलती है। एक बार दिन में और रात को सोने से पहले इस उपाय को करे।
  • अजवाइन गर्म पानी में पीस कर इसका लेप दाद पर लगाने से दाद ठीक होता है, इसके इलावा दाद को अजवाइन के पानी से धोने से भी फायदा मिलता है।
  • त्रिफला को भुन कर इसे पीस ले और चूर्ण बना ले, इस चूर्ण में सरसों का तेल, देसी घी, थोड़ी सी फिटकरी, सरसो का तेल और पानी मिलाकर मरहम बना ले। ये मरहम पकने वाले दाद के लिए रामबाण दवा है।
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घर में बना ये लिप बाम सर्दी में फटे होंठों को मुलायम रखता है

दोस्तो सर्दी का मौसम बहुत ही मस्‍त होता है। लेकिन कुछ लोगों को इस मौसम में तमाम तरह की परेशानी झेलनी पड़ती है। इनमें सबसे बड़ी समस्‍या है फटे होंठ और रूखी त्‍वचा। फटे होंठों को नर्म और मुलायम रखना बड़ी चुनौती होती है। इसके लिए लड़कियों को लिप बाम लगाना ज्‍यादा पसंद होता है। महिलाओं को सुंदर लिप देने में लिप बाम का बहुत महत्‍व होता है। वैसे तो लड़किया दिनभर लिप बाम लगाते रहते हैं, लेकिन थोड़ी ही देर के बाद इसका असर खत्‍म हो जाता है। अगर आप भी मार्केट में मिलने वाले लिप बाम का बार बार इस्‍तेमाल करते हैं तो आपके लिए हम घर में कैसे लिप बाम बनाकर होठों को सेहतमंद बना सकते हैं।

सामग्री ताजा चुकंदर, नारीयल का तेल, फूड प्रोसेसर, छन्नी, एक छोटा कंटेनर आदि
  • लिप बाम बनाने का तरीका सबसे पहले चुकंदर को अच्छे से धो लें ताकी उसमें किसी भी तरह की कोई गंदगी ना रह जाएं। उसके बाद उसके छिलको को उतार दे और चुकंदर को छोटे-छोटे टुकड़ो में काट लें। इसके बाद फूड प्रोसेसर में सभी काटे हुएं चुकंदर के टुकड़ों को डाल कर उसका पेस्ट बना लें। लेकिन फूड प्रोसेसर में डालते हुए इस बात का ध्यान रखे कि उसमें पानी ना डाले क्योंकि इससे उसका रंग हल्का हो जाएगा।
  • अब पिसे हुए चुकंदर के पेस्ट को एक बाउल में निकाल कर किसी छन्नी की मदद से उसके सारे रस को अलग कर दें। उसके बाद उस रस को एक साफ बर्तन में निकाल ले। वैसे आप चाहें तो बर्तन में चुकंदर का रस डालने से पहले उसमें थोडी सी शराब डाल कर उसें अच्छे से फैला सकती हैं, और उसके बाद उसमें चुकंदर का जूस डालें। अगर आपके पास कोई पुराने लिप बाम की डिब्बी हो तो आप उसका भी प्रयोग कर सकती है लेकिन उसका प्रयोग करने समय इस बात का ध्यान रखे कि वो डिब्बी अच्छे से साफ हो और उसमें किसी भी तरह की नमी मौजूद ना हो।
  • उस चुकंदर के रस में अब थोड़ा सा नारियल का तेल मिला लें। नारियल का तेल आप चाहें तो अपनी आवश्यकता के अनुसार भी प्रयोग कर सकती हैं। अगर आप नहीं चाहती कि अपके बाम का रंग ज्यादा गहरा हो तो नारियल तेल की मात्रा बढ़ा दें। वैसे नारियल तेल को मिलाते समय इस बात का ध्यान रखे की आप इसे एक चम्मच से ज्यादा प्रयोग ना करें। क्योंकि अगर चुकंदर के रस की मात्रा कम हुई या फिर नारियल के तेल की मात्रा कम हुई तो अपका लिप बाम अच्छा नहीं बनेगा और उसके कारण वो आपकी होंठों की त्वचा को कोमल करने के स्थान पर रुखा बना देगा। इसके अलावा आप चाहें तो नारियल तेल के स्थान पर पेट्रोलियम जेली का भी प्रयोग कर सकती है।
  • एक साफ चम्मच की मदद से इस मिश्रण को अच्छे से मिला लें। इसके बाद कुछ समय के लिए इसे फ्रिज में रख दे। लेकिन रखते समय इस बात का ख्याल रखे कि आप इस मिश्रण को ज्यादा देर तक फ्रिज में ना रखे। नही तो उसमें ऑक्सीकरण होने का खतरा बना रहेगा।
  • इसके बाद अब इस मिश्रण को आपने होंठों पर लगाएं। आप पाएंगे कि कुछ ही दिनों में आपके होठों का रंग हल्का गुलाबी हो जाएगा लेकिन इसे होंठों पर लगाने से पहले अपने शरीर की किसी और हिस्से पर लगा कर देख लें उसके बाद ही इसका प्रयोग करें, अगर आपको उससे कोई नुकसान ना हो तो आप इसे अपना सकती है।
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गुटखा खाने से दांतों पर पीलापन हैं तो सफेद करने के आसान उपाय






नमस्कार दोस्तों स्वागत हैं आपका, जब हम किसी गुटखे के पाउच की रंग-बिरंगी पैकिंग खोलकर अपने मुंह में डालें तो इस बात का भी ध्यान रखें कि इससे न केवल आपको मुंह का कैंसर हो सकता है, बल्कि इससे दांत भी खराब हो सकते हैं और दांतों पर पीलापन भी होता हैं अगर आपके भी दांत गुटखे की सेवन से खराब हो गए हैं तो इसे आसानी से हटाया जा सकता है। आइए हम बताते हैं कि दांत से गुटखे के दाग को कैसे आसानी से हटा कर पहले जैसी चमक आप हासिल कर सकते है।
  • पीले दांतों को सफेद बनाने के लिए थोड़ा सा नमक, सरसों का तेल और पिस्सी हुई हल्दी मिलाकर पेस्ट त्यार कर ले। इस पेस्ट को सुबह ब्रश या फिर उंगली की मदद से मसूड़ों और दांतो पर लगा कर कुछ देर के लिए छोड़ दे फिर कुल्ला कर ले। इस उपाय से दांतो के पीलापन का इलाज होता है और हिलते हुए दाँत भी ठीक होते है। इस घरेलू तरीके के निरंतर इस्तेमाल से मसूड़े स्वस्थ रहते है और दांतों में कभी पायरिया नहीं होता, इसके इलावा दांत भी कभी पीले नहीं पड़ते।
  • दातों का पीलापन दूर करने के लिए बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करें सबसे पहले एक चम्मच बेकिंग सोडा यानी कि मीठा सोडा लें और उसमें एक चुटकी नमक मिला लें और अब इसमें थोड़ा सा पानी मिलाकर 2 मिनट तक अपने दांत साफ करें और सप्ताह में इस तरह आप दो या तीन बार इस प्रक्रिया को दोहराएं 4 हफ्ते में आपके दांतों का पीलापन पूरी तरह हट जाएगा और आपके दांत साफ सफेद नजर आने लगेंगे।

  • दातों का पीलापन दूर करने के लिए स्ट्रॉबेरी को इस तरह से इस्तेमाल करें और यह टेस्टी फ्रूट भी है और दांतों को चमकाने के लिए भी कारगर साबित होगा तो आप कुछ स्ट्रॉबेरी लेकर उसका पेस्ट बना लें और इस पेस्ट से रोजाना अपने दांत साफ करें, ऐसा करने से कुछ ही दिनों में आपके पीले दांत बिल्कुल सफेद व चमकदार नजर आने लगेंगे.
  • दातों का पीलापन दूर करने के लिए आप चम्मच में नारियल का तेल लेने और रोहित या फिर 10 बरस की सहायता से आप इसको हल्के हल्के से अपने दांतों पर लगाने हैं इस तरह कोकोनट का ऑयल रोज अपने दातों पर लगाने से कुछ ही दिन में आपके पीले दांत सफेद हो जाते है।
  • लकड़ी के कोयले से दांतों का पीलापन दूर करें लकड़ी के कोयले को पीसकर बारीक कर लें ऐसा करने से कुछ ही दिनों में आपके दांतो का पीलापन चला जाता है और यह बहुत ही कारगर घरेलू नुस्खा है और मेरा खुद का आजमाया हुआ भी है।
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Thursday, 16 November 2017

सर्दियों में वजन बढ़ाना चाहते हैं आप, तो फिर खायें ये

सर्दियों में वजन बड़ाना

दोस्तो सर्दियों के दिनों की संभावनाओं को लेकर आपको अपने स्वास्थ्य का ख्याल भी रखना चाहिए। सर्दियों में हम अधिक खाते हैं क्योंकि शरीर को तापमान नियंत्रित रखने के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है। यह हमें भोजन से मिलती है। परिणाम स्वरूप खाना जल्दी पच जाता हैं और हमें अधिक भूख लगती है। जिसका नतीजा है-वजन का बढऩा। सर्दी भी वजन बढ़ाने के लिए एक महान अवसर है। तो आप भी वजन बढ़ाना चाहते हैं तो अपने खानपान में इन चीजों को शामिल कर सकते है।


  • केला वजन बढ़ाने का सबसे प्रभावी और आसान तरीका है केले का सेवन। दिन में कम से कम तीन बार केला जरूर खाएं। दूध या दही के साथ केला और भी फायदेमंद है। रोज सुबह नाश्ते के साथ बनाना-मिल्क शेक जरूर लें। महीने भर में परिणाम आपके सामने होंगे।  


  • अंडा अपने दिन की शुरूआत अंडे के साथ करें। यह आपकी मांसपेशियों और वजन को तेजी से बढ़ाने में मदद करता हैं। अंडे में 6 से 8 ग्राम तक प्रोटीन उपलब्ध होता है। और साथ ही इसमें विटामिन, जिंक, आयरन और कैल्शियम भी होता है जो वजन हासिल करने के लिए सबसे अच्छे खाद्य पदार्थो में से एक है।


  • रेशेदार सब्जियां ब्रोकोली और अन्य रेशेदार सब्जियां जैसे पालक, टमाटर, स्‍वीट कोर्न, मिर्च और प्‍याज व्‍यायाम के बाद लिये जाने वाले आहार हैं। लेकिन इसके इस्‍तेमाल के समय आपको इस बात का ध्‍यान रखने की जरूरत है कि इन सब सब्जियों को ज्‍यादा न पकाएं क्योंकि ज्‍यादा पकाने से इसमे मौजूद विटामिन और खनिज कम हो जाते है।
  • सूखे मेवे ये कैलोरी, पोषक तत्वों और फाइबर के प्रमुख स्रोत हैं। एक कप किशमिश में 449 व बादाम में 529 कैलोरी होती है।
  • चीज फैट, प्रोटीन, कैल्शियम व  कोलेस्ट्रॉल से भरपूर चीज या पनीर वजन बढ़ाने में सहायक होता है।


  • पीनट बटर 1 बड़े चम्मच पीनट बटर (मूंगफली का मक्खन) से 100 कैलोरी मिलती है। यह दिल के लिए भी फायदेमंद होता है। 
  • आलू इसमें स्टार्च, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन-सी भरपूर मात्रा में होता है। इसे छिलके सहित खाएं। एक आलू में लगभग 150 कैलोरी होती है।


  • पास्ता इसमें कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी होती है। ऐसे ही एक कप मैकरोनी में 390 कैलोरी मिलेगी, जबकि तैयार स्पेगैटी के एक कप में 220 कैलोरी। सब्जियां डालकर बनाएंगे तो और भी पोषक तत्व मिलेंगे।
  • मक्खन घर में निकले मक्खन या बटर को ब्रेड पर लगा कर, दाल, सब्जी और पाव-भाजी में डालकर खाने से वजन बढ़ेगा।


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Wednesday, 15 November 2017

बवासीर के लिए रामबाण आयुर्वेदिक नुस्खा


बवासीर में मलमार्ग के अंदर और मलमार्ग के आसपास की जगह पर सूजन होती है। मलमार्ग नलिका बड़ी आंत का अंतिम भाग है और लगभग 4 सेमी लंबा होता है जो गुदा नलिका के निचले सिरे पर बाहर की ओर खुलता है जिसके माध्यम से मल पास होता है। बवासीर एक बहुत ही दुख और तकलीफ देने वाला रोग होता है जिसमें अत्यधिक दर्द होने के कारण रोगी बहुत अधिक परेशान और दुखी हो जाता है।
दोस्तो बवासीर को पहचानना बहुत ही आसान है। मलत्याग के समय मलाशय में अत्यधिक पीड़ा और इसके बाद रक्तस्राव, खुजली इसका लक्षण है। इसके कारण मलमार्ग में सूजन हो जाती है। आयुर्वेदिक औषधियों को अपनाकर बवासीर से छुटकारा पाया जा सकता है।
  1. किशमिश रात को 100 ग्राम किशमिश पानी में भिगों दें और इसे सुबह के समय में इसे उसी पानी में इसे मसल दें। इस पानी को रोजाना सेवन करने से कुछ ही दिनों में बवासीर रोग ठीक हो जाता है।
  2. जामुन की गुठली और आम की गुठली के अंदर का भाग सुखाकर इसको मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में हल्के गर्म पानी या छाछ के साथ सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
  3. इसबगोल भूसी का प्रयोग करने से से अनियमित और कड़े मल से राहत मिलती है। इससे कुछ हद तक पेट भी साफ रहता है और मस्‍सा ज्‍यादा दर्द भी नही करता।
  4. नींबू डेढ़-दो कागजी नींबू अनिमा के साधन से गुदा में लें। 10-15 मिनट के अंतराल के बाद थोड़ी देर में इसे लेते रहिए उसके बाद शौच जायें। यह प्रयोग 4-5 दिन में एक बार करें। इसे 3 बार प्रयोग करने से बवासीर में लाभ होता है।
  5. जीरा करीब दो लीटर मट्ठा लेकर उसमे 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और थोडा नमक मिला दें। जब भी प्यास लगे तब पानी की जगह यह छाछ पियें। चार दिन तक यह प्रयोग करने से बवासीर के मस्‍से ठीक हो जाते है। या आधा चम्‍मच जीरा पावडर को एक गिलास पानी में डाल कर पियें।
  6. बड़ी इलायची बड़ी इलायची भी बवासीर को दूर करने का बहुत ही अच्‍छा उपचार है। इसे सेवन करने के लिए लगभग 50 ग्राम बड़ी इलायची को तवे पर रखकर भूनते हुए जला लीजिए। ठंडी होने के बाद इस इलायची को पीस लीजिए। रोज सुबह इस चूर्ण को पानी के साथ खाली पेट लेने से बवासीर ठीक हो जाता है।
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क्या आप जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार भोजन के अंत में पानी विष के सामान होता है

नमस्कार दोस्तो आपका स्वागत हैं, हमे भोजन हमेशा आराम से जमीनपर बैठकर करना चाहिए ताकि सीधे अमाशय में जा सके । यदि पानी पीना हो तो भोजन से आ...